वितताः |
वितता |
वितत{पुं}{1;बहु}/वितत{पुं}{8;बहु}/वितता{स्त्री}{1;बहु}/वितता{स्त्री}{2;बहु}/वितता{स्त्री}{8;बहु} |
तन्{कृत्_प्रत्ययः:क्त;तनुँ;तनादिः;पुं}{1;बहु} |
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विस्तार_से_कहे_गये_हैं |
widespread |
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रुत्व-यत्व-लोप-सन्धिः (ससजुषो रुः (8।2।66)-भोभगोअघो अपूर्वस्य योऽशि (8।3।17)-हलि सर्वेषाम् (8।3।22)) |
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