4.10.A | वीत-राग-भय-क्रोधाः |
4.10.B | वीतरागभयक्रोधा |
4.10.C | वीत-राग-भय-क्रोध{पुं}{1;बहु}/क्रोध{पुं}{8;बहु} |
4.10.D | वीत-राग-क्रोध{पुं}{1;बहु} |
4.10.E | <वीत-<राग-भय-क्रोधाः>Di>Bs5 |
4.10.F | रागः च भयम् च क्रोधः च = रागभयक्रोधाः, वीताः रागभयक्रोधाः यस्मात् सः = वीतरागभयक्रोधः ते वीतरागभयक्रोधाः |
4.10.G | विशेषणम् 7 |
4.10.H | - |
4.10.I | जिनके_राग_भय_और_क्रोध_सर्वथा_नष्ट_हो_गये_थे_वे |
4.10.J | freed_from_attachment,_fear_and_anger |
4.10.K | - |
4.10.L | रुत्व-यत्व-लोप-सन्धिः (ससजुषो रुः (8।2।66)-भोभगोअघो अपूर्वस्य योऽशि (8।3।17)-हलि सर्वेषाम् (8।3।22)) |
4.10.M | GLGLLGGG |